कॉल और पुट ऑप्शन क्या है (2023) | Call और Put को कब खरीदें और कब बेचें

कॉल और पुट ऑप्शन क्या है | Call और Put को कब खरीदें और कब बेचें

कॉल ऑप्शन क्या है : Coll Option और Put Option शेयर मार्केट में ये दो तरह के विकल्प मौजूद है। अब बात आती है की हम इन दोनो का प्रयोग कब कब कर सकते है – तो दोस्तो कॉल ऑप्शन का प्रयोग तब किया जाता है जब हमे किसी स्टॉक को कीमत में वृद्धि की उम्मीद हो, जब को जब किसी स्टॉक की कीमत में गिरावट की उम्मीद होती है तो पुट ऑप्शन का प्रयोग करते है। 

दोस्तों ये दोनो टूल का प्रयोग अच्छे से करते है तो आपका करियर में बदलाव हो सकता है मतलब की आप शेयर मार्केट से अच्छे खासे पैसे बनाने लग जाओगे। इसलिए दोस्तों आपको इसके बारे में मालूम होना जरूर चाहिए। अगर आप इस कॉल ऑप्शन के बारे ने जानना चाहते है तो इसके लिए आपको और कही जाने की जरूरत नहीं है। 

आज हम आपको कॉल ऑप्शन क्या है और पुट ऑप्शन क्या है के बारे ने विस्तार से जानेंगे। हम आपको इस पोस्ट में कॉल और पुट ऑप्शन क्या है, शर्तें, कॉल और पुट ऑप्शन को खरीदना चाहिए या कॉल ऑप्शन को बेचना चाहिए आदि के बारे ने विस्तार से आपको बताएंगे। 

इसलिए आपको इस लेख को अंतिम तक जरूर पढ़ना है, ताकि आपके कोई जानकारी छूट न जाए। Call Option क्या के बारे में जानने से पहले आपको Option यानी ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है के बारे में जानना होगा। तभी आपको Call Option और Put Option समझ आएगा। 

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ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है (What is Option Trading in Hindi) 

Option Trading वह कॉन्ट्रैक्ट है, जो किसी तय किए गए तारीख पर किसी खास कीमत पर किसी शेयर को खरीदने और बेचने का अधिकार प्रदान करता है। Option Trading का सबसे बड़ा फायदा यह है की आप सिक्योरिटी/ शेयर के प्रीमियम से उसे खरीदने या बेचने हेतु बाध्य नहीं होते। 

आसान शब्दों में कहूं तो ऑप्शन ट्रेडिंग का मतलब होता है की आप पहले ही कुछ निश्चित धनराशि देकर Future के लिए स्टॉक्स खरीद या बेच सकते है। इसी तय धनराशि को Option Premium कहा जाता है। यहां ज्यादातर लोग निफ्टी और बैंक निफ्टी जैसे इंडेक्स में ऑप्शन ट्रेडिंग करते है। 

इसका सबसे बड़ा कारण है की उनमें प्रीमियर राशि काफी कम देना होता है। लेकिन जरूरी नहीं की आप Index में ही ट्रेडिंग करें बल्कि आप अपने इच्छानुसार किसी भी अच्छे से शेयर में भी ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते है। 

ऑप्शन के प्रकार (Types of Option in Hindi) 

दोस्तों अभी आपने जाना की ऑप्शन क्या है, अब हम। इसके कौन कौन से प्रकार होते हैं उसके बारे में भी आपको बताएंगे। ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है, जो निम्नलिखित है –

  1. कॉल ऑप्शन
  2. पुट ऑप्शन

चलिए दोस्तों अब Call Option के बारे में जान लेते हैं। इसके बाद Put ऑप्शन क्या है के बारे में जानेंगे। 

कॉल ऑप्शन क्या है (What is Call Option in Hindi)

ऑप्शन,  खरीददार को अनुबंध की समाप्ति तिथि से पहले किसी विशेष कीमत पर संपत्ति खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नही। वहीं कॉल ऑप्शन शेयर को खरीदने वाला यानी खरीदार को पहले निर्धारित समय पर पूर्व निर्धारित मूल्य पर अनर्निहीत परिसंपत्ति खरीदने का अधिकार देता है। 

इस तरह कॉल ऑप्शन विक्रेता जिसे “राइटर” के नाम से भी जाना जाता है उसका दायित्व होता है की जब कॉल ऑप्शन का खरीदार इस विकल्प का उपयोग करता है, तो पहले निर्धारित स्ट्राइक मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को बेच दे। 

यह भी पढ़ें : ट्रेडिंग का मतलब क्या है और कैसे करे

कॉल ऑप्शन उदाहरण (Example of Call Option in Hindi)

आप कॉल ऑप्शन को अच्छे से समझने के लिए इस उदाहरण को अच्छे से पढ़ सकते है – 

मान लेते है रिलायंस का कोई शेयर ₹2000 पर ट्रेड कर रहा है और बस एक महीने के बाद ही इसके तिमाही नतीजे आने को है, जिसके कारण इसको लेकर आप काफी सकारात्मक है। भले ही आप इस शेयर को खरीदना चाहते है लेकिन आपका यह विश्लेषण गलत भी हो सकता है। 

और यदि आप इससे जोखिम नही उठाना चाहते हैं, तब इसमें आप कॉल ऑप्शन खरीदने का निर्णय ले सकते है। दोस्तो अब आप ₹2000 के स्ट्राइक प्राइस पर मासिक काल ऑप्शन खरीदते है। इसका कोई आपको प्रीमियर राशि देना है। मान लेते है वह प्रीमियर राशि ₹100 प्रति शेयर है और एक लोट में लगभग ₹200 शेयर है।

तब इस तरह से आपने ट्रेड करने के लिए ₹20,000 दिए होंगे अब मान लेते है उस रिलायंस शेयर की एक महीने बाद नतीजे काफी अच्छे आए है। उसके कीमत में काफी अच्छी तेजी आई है और उसकी कीमत बढ़कर ₹2300 हो जाता है।

अब वह शेलर जिसने आपसे प्रीमियर लिया है, वह अंडरलाइंग एसेट्स यानी रिलायंस शेयर्स को निर्धारित कीमत पर आपके तय मात्रा में खरीददार को बेचने में बाध्य होता है। वह आपको रिलायंस के शेयर एक्सपायरी वाले दिन ₹2000 के हिसाब से शेयर बेचेगा। इस तरह से आप कम प्राइस में शेयर्स खरीदकर मुनाफा जनरेट कर सकते है। 

यानी दोस्तों अगर आप किसी शेयर को लेकर काफी बुलिश है तब आप कॉल ऑप्शन का प्रयोग कर सकते है। तथा पोजीशन लेने के लिए एक बायर हमेशा प्रीमियम देता है। उम्मीद है की आपको Call Option क्या होता है अच्छे से समझ आगया होगा। 

पुट ऑप्शन क्या है (What is Put Option in Hindi)

Put Option क्या है : पुट ऑप्शन, कॉल ऑप्शन से पूरी तरह से विपरित है। यह एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जो एक विशेष समयंत्रल के अंदर एक पूर्व निर्धारित कीमत पर किसी अंडरलाइंग सिक्योरिटी की विशिष्ट राशि को बेचने का अधिकार देता है, पर दायित्व नही। 

यह पूर्व निर्धारित कीमत जिसे पर पिट ऑप्शन का बायर बेच सकता है स्ट्राइक प्राइस कहलाती है।

इसे भी पढ़ें : ऑप्शन ट्रेडिंग में कितना चार्ज लगता है?

पुट ऑप्शन उदाहरण (Put Option Example in Hindi) 

दोस्तों हमने जो ऊपर में उदाहरण बताया है उसमे थोड़ा सा बदलाव करने के बाद आप पुट ऑप्शन को भी अच्छे से समझ सकते है। मान लेते है की रिलायंस की इस एक महीने बाद आने वाले रिपोर्ट से आप बेयरिश यानी खराबहै और इसके चलते आपने ₹2000 के स्टॉक प्राइस पर पुट ऑप्शन खरीद किया है और इसके लिए आपने ₹100 प्रीमियर भी दे दिए। 

अब दोस्तों एक महीने के बाद नतीजे आने के बाद रिलायंस के उस शेयर में गिरावट देखने को मिलती है। और शेयर की कीमत ₹1700 हो गया। अब यहां दोस्तों आपने तो पहले ही पुट ऑप्शन खरीद रखा है और आपके पास ₹2000 की कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार है।

अब आपके पास रिलायंस के पूर्व कीमत वाले शेयर मौजूद है, जी आपके ₹2000 से के कीमत कम पर खरीदे थे, आप उन्हें ₹2000 में ऑप्शन सेलर को बेच सकते है या फिर आप मार्केट से ₹1700 प्रति शेयर के हिसाब से स्टॉक को खरीद कर ₹2000 के हिसाब से बेच सकते है। 

इस तरह दोस्तों आप (2000-1700-100) ₹200 का मुनाफा कमा सकते है। यहां पर ₹100 प्रीमियर है जो आपने जेएस पोजीशन में ट्रेड करने के लिए दिए थे। मान लेते है अब मार्केट बुलिश हो गया है और रिलायंस के शेयर प्राइस एक्सपायरी तक ₹2200 के हो जाते है तब ऐसे मे पुट ऑप्शन बेयर ट्रेड एक्सक्यूज नही करेगा, और प्रीमियर के एग्जिट के साथ मार्केट से एग्जिट कर देगा।

इस तरह दोस्तो एक खरीददार पुट ऑप्शन का चयन तब करता है जब वह शेयर या मार्केट को लेकर बेरियस होता है। दोस्तो इसमें एक तरफ जहां पीट ऑप्शन बायर को बुलिश मार्केट में प्रीमियर का नुकसान होता है। तो वहीं दूसरी तरफ सेलर प्रीमियर से लाभ कमाता है। इसमें एक सेलर का लाभ सिर्फ प्रीमियर तक ही सीमित होती है।

कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन में अंतर (Difference Between Call and Put Option in Hindi)

Call Option और Put Option में निम्नलिखित अंतर अंतर है –

  • दोस्तो एक खरीददार पुट ऑप्शन तब खरीदता है जब एक निर्धारित अवधि के अंदर अंतर्निहित परिसंपत्ति कुली में गिरावट आने के उम्मीद या आशंका होती है। पुट ऑप्शन में खरीददार किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति किलो उसकी समाप्ति तिथि के पहले निर्धारित मूल्य पर बेचने का अधिकार बरकरार रखते है। 
  • कॉल ऑप्शन में खरीददार को खरीदने का अधिकार होता है, जबकि पुट ऑप्शन में खरीदार को बेचने का।
  • कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनो ऑप्शन में ही दायित्व में बिना अधिकार है। जो इन्हें असीमित ऑप्शन बनाता है। कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनो में ही एक खरीददार और एक विक्रेता होता है।
  • कॉल ऑप्शन में किसी अंतर्निहित की बढ़ती किकट में कोई गणितीय सीमा नही होने के कारण लाभ असीमित है। वही, पुट ऑप्शन में मामले में गणितीय सीमा होने के कारण प्रतिबंधित होगा क्योंकि किसी स्टॉक की कीमत शून्य नहीं हो सकती। 

यह भी पढ़ें : क्या Trading करना चाहिए? 

कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन को खरीदने और बेचने का नियम

दोस्तों अगर किसी सुरक्षा की कीमत उसके प्रयोग के तारीख से पहले बढ़ जाती है, तब कॉल विकल्प का चयन करना आपके लाए फायदेमंद हो सकता है। वही अगर किसी सुरक्षा का मूल्य में उसी समय वृद्धि होती है तो उसे स्ट्राइक मूल्य पर खरीद सकते है तथा उसके उच्च बाजार मूल्य पर उसे बेचे दें।

आप आप लोगो ने तो कॉल और पुट ऑप्शन क्या है इसे तो जान ही लिया है। तब अब अगर आप कॉल और पुट ऑप्शन को कब खरीदना और कब बेचना चाहिए? इसके बारे में जानना चाहते है, तब आप नीचे बताए तरीको को अच्छे से पढ़ सकते है – 

1. सपोर्ट और रेजिस्टेंस 

अगर आप कॉल ऑप्शन का प्रयोग करते है और इससे पैसे कमाना चाहते है तो इसके लिए आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस पर ट्रेडिंग करना आना चाहिए। बता दें स्पोर्ट लेवल वह होता है जिसको टच करने से आपके शेयर प्राइस बढ़ने लगते है। तथा इसके वितरित रेजिस्टेंस लेवल वह लेवल ,है जिसको टच करने से शेयर प्राइस गिरने लगता है। 

दोस्तों शेयर मार्केट ने बहुत से ऐसे भी लोग है जो केवल सपोर्ट और रेजिस्टेंस पर कॉल ऑप्शन करके रोजाना अच्छा पैसा कमा लेते है। लेकिन अब अगर आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा की सही सपोर्ट और रेजिस्टेंस का पता कैसे करें जहां से मार्केट बढ़ना शुरू हो? तब इसके लिए आप नीचे लिखे स्टेप को फॉलो कर सकते है : 

  • सबसे पहले तो आपको उस शेयर का चार्ट ओपन का लेना है जिसमे आपको बढ़ने की उम्मीद हो।
  • अब आपको उस ट्रेड पर ट्रांडलाइन यानी ह हॉरिजॉन्टल लाइन खींच लेना है।
  • अब आपको देखना है प्राइस कौन से लेवल आप दो या दो से अधिक बार Reverse हुआ है। 
  • याद रखिए जितने ज्यादा बार प्राइस किसी पार्टीकुलर लेवल को टच करके वापस विपरित दिशा में गया होगा वही लेबल उतना ही ज्यादा अच्छा होगा मतलब उस लेवल पर उतना ही मजबूत स्ट्रांग सपोर्ट या रेजिस्टेंस बन जायेगा।

2. वंशानुक्रम डेटा देखकर 

दोस्तों किसी भी शेयर की वंशानुक्रम डेटा उसकी स्ट्राइक प्राइस, ओपन इंटरेस्ट, वॉल्यूम जैसी महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी प्रदान करती है। आगर आप ऑप्शन चैन यानी वंशानुक्रम डेटा देखना चाहते है किसी भी शेयर की तो इसके लिए आप NSE के वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। 

जब मार्केट बुलिश होता है तो वंशानुक्रम डेटा में पहले से ही मालूम हो जाता है बाजार में buyers की संख्या बढ़ने वाली है। और इसी कारण से तेज़ी आने की संभावना ज्यादा होता है। इसलिए आप ऐसे समय का फायदा उठाना चाहते है तक इसके लिए आप कॉल ऑप्शन खरीदने चाहिए।

यह भी पढ़ें : ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम – Best Option Trading Rules in Hindi 

3. ब्रेकआउट के बाद 

जब किसी शेयर की प्राइस अपने किसी सपोर्ट या रेसिस्टेंट के हाई लेवल को तोड़कर आगे निकल जाती है तो इसे ब्रेकआउट कहते है। इसके बाद शेयर की प्राइस में तेजी से ऊपर या नीचे जाने का चांस रहते है। तो अगर आप ब्रैकआउट पर कॉल ऑप्शन को खरीदते है तब इससे आप एक बड़ी move को कैप्चर कर सकते हैं।

दोस्तों जब कोई शेयर आपने हाई सपोर्ट प्राइस को तोड़ता हैं आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए, तथा जब कोई शेयर अपने हाई रेजिस्टेंस प्राइस को तोड़ता है तब आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए।  

लेकिन आप अगर एक सेलर है तब आपको सपोर्ट लेवल टूटने कॉल ऑप्शन बेचना चाहिए और हाई रेजिस्टेंस प्राइस टूटने पर पुट ऑप्शन बेचना चाहिए। 

4. एक्सपायरी के दिन 

दोस्तों अगर आप कॉल ऑप्शन खरीदना चाहते हैं तब आपके लिए एक्सपायरी के दिन सुनहरा मौका हो सकता है। क्योंकि इस दिन कॉल के प्रीमियर काफी सस्ते दामों में मिलते है। यानी आप बहुत कम पैसे निवेश करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते है।

बता दें निफ्टी और बैंकनिफ्टी में ट्रेडिंग करने वालों के लिए वीकली एक्सपायरी का दिन गुरुवार को होता है। जबकि स्टॉक ऑप्शन में ट्रेड करने वालों के लिए महीने के अंतिम गुरुवार को एक्सपायरी दिन होता है। 

गुरुवार का दिन इसलिए क्योंकि इस आपको देखने को मिलेगा के प्रीमियर के दाम काफी तेजी से बढ़ते है और उतनी ही तेजी से काम भी होते है। इसे में आपको किसी भी काल ऑप्शन को ज्यादा समय तक होल्ड करके भी रखना चाहिए। यानी आपको जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी प्रॉफिट बुक करके ट्रेड से बाहर निकल जाना चाहिए। वरना इस दिन आपका लाभ के बजाय नुकसान हो सकता है।

इसे भी पढ़ें : Share Market में कितना प्रॉफिट होता है? 

5. सुबह और दोपहर के समय

दोस्तों आगर ऑप्शन ट्रेडिंग करते है तो आपको यह तो मालूम ही होगा की सुबह यानी की 9:15 में मार्केट के ओपन होने के बाद 11:00 तक प्राइस में मूवमेंट बहुत तेजी से होती है। मतलब इस समय कॉल ऑप्शन खरीदने पर प्रॉफिट की संभावना ज्यादा होती है। 

उसके बाद यानी 11:00 के बाद यानी 1:30 बजे तक मार्केट की मूवमेंट थोड़ी धीमी हो जाती है। इसलिए इस समय को ऑप्शन कलर का टाइम कहते है। ज्यादातर इसी समय एक ऑप्शन बायर को नुकसान होता है। क्योंकि मार्केट उसी रेंज में घूमता ही रहता है प्रीमियर भी तेजी से नही बढ़ती। 

1:30 से 2:00 बजे के बाद फिर से मार्केट में मूवमेंट होने का लगता है। क्योंकि ऑप्शन खरीददार या विक्रेता अपनी पोजीशन को अगले दिन के लिए होल्ड करने के बजाय स्क्वायर ऑफ करने में लग जाता है। ज्यादातर ऑप्शन ट्रेडर इंट्राडे में ही ट्रेड करते हैं।

लेकिन दोस्तों बता दें यह जरूरी नहीं है प्रतिदिन ऐसा ही हो। क्योंकि योरोपी मार्केट 12:30 बजे के बाद ही खुलता है। आज अगर कोई पॉजिटिव खबर आती है तो 1 बजे से पहले मार्केट पर उसका प्रभाव देखने को मिल जाता है। 

कहने का मतलब यानी की आगर आप एक इंट्राडे ऑप्शन बायर है तब आपको सुबह और दोपहर के समय कॉल या पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए आज अगर आप इंट्राडे ऑप्शन सेलर है तो आपको 11:00 से 1:00 के बीच काल या पुट ऑप्शन बेचना चाहिए।

कॉल ऑप्शन के मूल शर्ते क्या है? 

स्ट्राइक मूल्य:- वह कीमत जिस पर अंतिम तारीख से पहले किसी संपत्ति के खरीद या बिक्री की जाती है। 

हाजिर मुख्य:- इस समय शेयर बाजार में संपत्ति की कीमत 

विकल्प समाप्ति:- जिस तिथि को अनुबंध खत्म होता है, वह गुरवार के दिन या महीने का अंतिम गुरुवार होता है। 

ऑप्शन प्रीमियर:- ऑप्शन खरीदने के समय विकल्प विक्रेता को ऑप्शन खरीदार द्वारा भुगतान की गई राशि।

निपटान:- भारत में विकल्प अनुबंध नकदी के माध्यम से तय किए जाते हैं।

यह भी पढ़ें : कैसे पता करें की कोई कम्पनी कर्ज मुक्त है या नहीं

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FAQs:

1. कॉल या पुट ऑप्शन कब बेचना है?

Ans. आपको कॉल या पुट ऑप्शन की बिक्री तभी करनी है जब आपको उम्मीद हो की मार्केट ऊपर जाने वाला है या नीचे जाना वाला है।

2. कॉल ऑप्शंस की कीमत कैसे होती है?

Ans. विकल्प की कीमतें जिनको प्रीमियर के रूप में भी जाना जाता है। इसके आंतरिक और समय मूल्य के योग से ऑप्शन की कीमत बनी होती है। 

3. कॉल ऑप्शन क्यों खरीदें?

Ans. कॉल ऑप्शन खरीदने का सबसे बड़ा फायदा यह है की यह स्टॉक की कीमत में लाभ को बढ़ाता है।

Conclusion (कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन क्या है)

इस लेख में आपने जाना का कॉल ऑप्शन क्या है और पुट ऑप्शन क्या है के बारे में जाना। साथ ही कॉल और पुट ऑप्शन को कब खरीदना और बेचना चाहिए, कॉल और पुट ऑप्शन में अंतर आदि के बारे में भी आपके जाना। 

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों और अन्य रिलेशन के साथ भी शेयर करें ताकि वे लोग भी शेयर मार्केट में उपलब्ध इन दोनों विकल्पो के बारे में विस्तार से जान सके और प्रॉफिट कमा सके। साथ ही इस पोस्ट को 5 Star Rating दे। 

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धन्यवाद!

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